बाड़मेर के मेले एवं त्योहार
नाकोड़ा तीर्थ
यह जैन सम्प्रदाय का एक प्रमुख तीर्थ है जो बालोतरा से 9 किलोमीटर पश्चिम को मेवानगर में नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर के रूप में अवस्थित है। यहां पर प्रति वर्ष जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान के जन्मदिवस पौष बदी दशम् (दिसम्बर माह) को विशाल मेला नाकोड़ा ट्रस्ट की ओर से आयोजित होता है। इस तीर्थ पर तीन जैन मंदिर हैं जिनमें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, शांति नाथ एवं आदिश्वर (रिखबदेव) की प्रतिमाएं हैं।
तिलवाड़ा पशुमेला
यह बाड़मेर जिले का बड़ा पशुमेला है जो कि पशुपालन विभाग की ओर से प्रति वर्ष राज्य स्तरीय पशु मेलों की श्रृंखला में आयोजित किया जाता है। यह मेला बालोतरा से 18 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित तिलवाड़ा ग्राम में राज मल्लीनाथ मंदिर लूनी नदी की तलहटी में चैत्र बदी 11 से चैत्र सुदी 11 (मार्च—अप्रैल) को प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है। इस मेले में 30 से 40 हजार तक की संख्या में विभिन्न पशु बिक्री के लिए मेला स्थल पर लाए जाते हैं। राजस्थान के अलावा अन्य प्रांतों से भी पशु व्यापारी यहां भारी तादाद में पशु क्रय करने आते हैं।
वीरातरा का मेला
बाड़मेर जिले के चौहटन तहसील मुख्यालय से 12 किलोमीटर पश्चिम की ओर पहाड़ियों में स्थित वीरातरा माता के मंदिर पर प्रति वर्ष तीन भव्य ग्रामीण मेलों का आयोजन होता है। मेले का प्रबंध स्थानीय मंदिर समिति करती है तथा मेले में बाड़मेर जिले के अलावा अन्य क्षेत्रों के श्रद्धालु भी दर्शनार्थ यहां आते हैं। ये मेले चैत्र बदी 14, भादवा सुदी 14 एवं माघ सुदी 14 को आयोजित होते हैं। इन मेलों की अवधि तीन दिवस की होती है।
खेड़ मेला
बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखंड मुख्यालय से पश्चिम की ओर 8 किलेामीटर की दूरी पर अवस्थित ऐतिहासिक खेड़ मंदिर वैष्णव तीर्थ के रूप में विख्यात है। स्थानीय मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्रति वर्ष भादवा सुदी 8 एवं 9 को (अगस्त—दिसम्बर) राधाष्टमी के अवसर पर एक भव्य मेले का आयोजन होता है।
गोगानवमी
बाड़मेर जिले का यह उत्सव सर्प पूजा एवं अराधना के रूप में मनाया जाता है। भ्रादपद की कृष्णा नवमी के दिन ग्रामीण दूध एकत्रित कर उसकी स्वादिष्ट खीर बनाते हैं तथा गोगाजी (गोगा चव्हाण देव) की प्रतिमा पर भोग लगाते हैं। अनेक स्थानों पर मेलों का आयोजन होता है तथा गोगा देव से सभी विष दंश के कष्ट से मुक्त रखने की कामना करते हैं।
बाड़मेर थार समारोह
जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग तथा स्थानीय संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से बाड़मेर थार समारोह शीतलाष्टमी से दो दिन पूर्व बाड़मेर मुख्यालय पर प्रारंभ होता है। यह मेला 1986 से लगाया जा रहा है। मेला कनाना स्थित गैर मेले के पश्चात शीतलाष्टमी (फरवरी—मार्च) को सम्पन्न होता है। इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय लोगों सहित देश—विदेश के पर्यटक बाड़मेर आते हैं। मेले में झांकियां, लोक कला का प्रदर्शन, ऊंट सफारी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यटन स्थलों का अवलोकन तथा सुप्रसिद्ध कनाना गैर के अवलोकन का कार्यक्रम तीन दिन चलता है।