1.मारवाड़ सेवा संघ का गठन 1920 में हुआ था, इसके नेता थे—
अ.भूलाभाई जोशी
ब.जयनारायण व्यास
स.रामनारायण चौधरी
द.हरिभाई किंकर
उत्तर:ब.जयनारायण व्यास
स्पष्टीकरण: मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना चांदमल सुराणा द्वारा जोधपुर में 1920 में की गई. जयनारायण व्यास को इसका नेता चुना गया. आगे चलकर यही सेवा संघ मारवाड़ हितकारिणी सभा बन गया.
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2.महाइन्द्राज सभा का गठन किया गया था—
अ.जयपुर में
ब.मारवाड़ में
स.मेवाड़ में
द.अलवर में
उत्तर:स.मेवाड़ में
3.राजस्थान में स्वतंत्रता आन्दोलन और राजस्थान में एकीकरण का प्रमुख कार्य निम्न में से किसके कारण हुआ:
अ.कृषक आंदोलन से
ब.जन आंदोलन से
स.सविनय अवज्ञा आंदोलन से
द.प्रजामण्डल आंदोलन से
उत्तर:द.प्रजामण्डल आंदोलन से
स्पष्टीकरण: राजस्थान में प्रजा मंडल आन्दोलन राजनीतिक जागरण का परिणाम था. प्रजामंडल आंदोलन के माध्यम से उस समय के ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचारों का विरोध किया गया और राजतंत्र के खिलाफ मुहिम शुरू हुई. इसी आंदोलन ने प्रदेश में लोकतंत्र का राह प्रशस्त किया जिसने सरकार को एक वृहद् राजस्थान की स्थापना के लिए प्रेरित किया.
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4.स्वामी दयानन्द सरस्वती ने में एक सामाजिक संस्था की स्थापना की, उसका नाम था:
अ.परोपकारिणी सभा
ब.आर्य समाज
स.इजलास सभा
द.महाइन्द्राज सभा
उत्तर:अ.परोपकारिणी सभा
स्पष्टीकरण: परोपकारिणी सभा, महर्षि दयानंद की उत्तराधिकारिणी सभा है. महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना धन, वस्त्र, पुस्तक, यंत्रालय आदि परोपकारिणी सभा को सौंप दिए थे. इस सभा की स्थापना महर्षि ने की थी, उन्होंने इस सभा के 3 उद्देश्य रखे थे.
1. आर्ष साहित्य का प्रकाशन द्वारा प्रसार
2. विश्व में वैदिक धर्म का प्रचार
3. दीन अनाथ जनों की रक्षा
परोपकारिणी सभा अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती के प्रायः सभी ग्रंथो की मूल प्रतियाँ है.
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5.1922 ई. में राजस्थान सेवा संघ नामक संस्था ने किस समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ किया—
अ.नव—जीवन
ब.जयपुर समाचार
स.नवीन राजस्थान
द.लोकवाणी
उत्तर:स.नवीन राजस्थान
स्पष्टीकरण:राजस्थान सेवा संघ की स्थापना वर्धा में वर्ष 1919 ई. में अर्जुनलाल सेठी, केसरीसिंह बारहठ एवं विजय सिंह पथिक ने मिलकर की थी। 1928 ई. के अन्त तक सेवा संघ प्राय: समाप्त हो गया। 1922 ई. में विजयसिंह पथिक राजस्थान केसरी के सम्पादन कार्य से मुक्त हो गये। इसी वर्ष उन्होंने राजस्थान सेवा संघ के बैनर तले अजमेर से नवीन राजस्थान नामक साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र निकालना आरंभ किया। इस समाचार पत्र का उद्देश्य राजस्थान में राजनीतिक चेतना जागृत कर स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाना था।
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6.कितने रजवाड़ो और राज्यों के एकीकरण से राजस्थान अस्तित्व में आया—
अ.17
ब.16
स.20
द.19
उत्तर:द.19
स्प्ष्टीकरण:राजस्थान के एकीकरण में 19 देसी रियासतें, 3 ठिकाने (नीमराणा, कुशलगढ़ और लावा) व एक केन्द्रशासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा को शामिल किया गया था.
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7.राजस्थान के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है—
अ.सरदार पटेल
ब.पंडित नेहरू
स.हीरालाला शास्त्री
द.माउन्ट बैंटन
उत्तर:अ.सरदार पटेल
स्पष्टीकरण: राजस्थान के एकीकरण के समय भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, जिन्होंने एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया. उन्होंने ही भारत सरकार के राज्यों के विलय के सम्बन्ध में जारी नीति 16 दिसम्बर, 1947 को जारी की और उसका कड़ाई से पालन करवाया. उन राजाओं की तारीफ की गई और प्रोत्साहित किया गया जिन्होंने अपने विवेक से अपने राज्य का विलय करवाया और उन रजवाड़ों पर कड़ा रूख अपनाया जिन्होंने विलय से इंकार किया. इस वजह से सभी राजे—रजवाड़ों को अपने राज्यों का विलय करना पड़ा. इसी वजह से सरदार वल्लभ भाई पटेल को राजस्थान के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है.
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8.25 मार्च, 1948 को संयुक्त राजस्थान में जिस रियासत का विलय हुआ वह थी—
अ.सिरोही
ब.प्रतापगढ़
स.भरतपुर
द.अलवर
उत्तर: ब.प्रतापगढ़
स्पष्टीकरण:
राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 01 नवम्बर, 1956 में पूरा हुआ।
इस एकीकरण में सात चरण और 8 वर्ष 5 माह एवं 14 दिन का समय लगा।
राजस्थान की चार रियासतें डूंगरपुर, अलवर, भरतपुर, जोधपुर एकीकरण में शामिल नहीं होकर स्वतंत्र रहने की इच्छुक थी।
मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे पुरानी रियासत थी।
क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी।
मत्स्य संघ (18 मार्च, 1948)
18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और नीमराणा ठिकाने को मिलाया गया।
मत्स्य संघ की राजस्थानी अलवर बनी।
धौलपुर के शासक उदयभानसिंह को राज प्रमुख बनाया गया।
अलवर के शोभाराम कुमावत को प्रधानमंत्री बनाया गया।
राजस्थान संघ (23 मार्च, 1948)
राजस्थान की 9 रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण किया गया.
कोटा, बूंदी, झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, शाहपुरा, किशनगढ़ एवं टोंक को मिलाया गया.
25 मार्च, 1948 को प्रतापगढ़ रियासत का विलय किया गया.
राजधानी कोटा को रखा गया।
कोटा महाराज भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
गोकुललाल असावा को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन एन.वी.गाडगिल ने किया।
संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल, 1948)
राजस्थान संघ में उदयपुर का विलय कर संयुक्त राजस्थान का निर्माण किया गया।
इसकी राजधानी उदयपुर को बनाया गया।
भूपालसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
माणिक्यलाल वर्मां को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
वृहत् राजस्थान (30 मार्च, 1949)
राजस्थान की चार बड़ी रियासतों को संयुक्त राजस्थान में मिलाया गया।
जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, बीकानेर को मिलाया गया।
जयपुर को राजधानी रखा गया।
जयपुर के सवांई मानसिंह को राज प्रमुख बनाया गया।
उदयपुर के शासक भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया।
हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया।
संयुक्त वृहत राजस्थान
15 मई, 1949 को मत्स्य संघ का विलय वृहत् राजस्थान में कर दिया गया।
राजस्थान
26 जनवरी, 1950 को संयुक्त वृहत् राजधान में सिरोही का विलय किया गया।
पुनर्गठित राजस्थान
1 नवम्बर, 1956 को फजल अली आयोग की सिफारिषों के आधार पर अजमेर, मेरवाड़ा क्षेत्र मध्यप्रदेष का सुनेल टप्पा (मंदसौर) राजस्थान में मिलाया गया।
कोटा का सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश को दे दिया गया।
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9.राजस्थान में राजनीतिक चेतना को जन्म देने का श्रेय दिया जाता है—
अ.अर्जुन लाल सेठी
ब.सेठ दामोदर दास
स.विजयसिंह पथिक
द.सहसमल बोहरा
उत्तर:स.विजयसिंह पथिक
स्पष्टीकरण:विजयसिंह पथिक के नेतृत्व में चलाए गए बिजोलिया किसान आंदोलन ने पहली बार राजपुताना में इस बात को स्थापित किया कि पूरे देश का राजनीतिक आंदोलन राजस्थान के लोगों को समान रूप से प्रभावित कर रहा है. इससे पहले तक राजपुताने की राजनीतिक चेतना सिर्फ विदेशी शासन के खिलाफ काम कर रहा था लेकिन विजय सिंह पथिक द्वारा चलाए गए बिजोलिया किसान आंदोलन ने इसे विदेशी शासन के साथ ही राजतंत्र के खिलाफ पैदा होने वाली राजनीतिक चेतना का बीज दिया.
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10.मेवाड़ महाराणा ने संघ के निर्माण के लिए किसकी सेवाएं ली—
अ.वी.टी.कृष्णामाचारी
ब.के.एम.मुंशी
स.सरदार वल्लभ भाई पटेल
द.हीरालाल शास्त्री
उत्तर:ब.के.एम.मुंशी
स्पष्टीकरण: उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह ने आजादी के बाद स्थिती को देखते हुए राजपुताना, गुजरात और मालावा के राजाओं के एक सम्मेलन उदयपुर में 25—26 जून 1946 को आयोजित किया और एक वृहद् संघ राजस्थान यूनियन के निर्माण की योजना बनाई. इस योजना को साकार करने के लिए उन्होंने के. एम. मुंशी की सेवाएं ली और उन्हें इसका वैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया.
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