बयाना, भरतपुर
प्राचीनकाल में उत्तर व दक्षिण भारत के बीच आवागमन के मुख्य राजमार्ग पर स्थित बयाना या विजयगढ़ सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण दुर्ग रहा है। पुराणों में बयाना के निकट के पर्वतीय अंचल को शोणितगिरी तथा बयाना नगर को शोणितपुर कहा गया है। एक ऊंचे पहाड़ पर बने बयाना के किले को अपनी दुर्भेधता के कारण बादशाह दुर्ग और विजयगढ़ का भी नाम दिया जाता रहा है। बयाना की ख्याति इसके पास स्थित अनगिनत कब्रगाहों के कारण भी रही है। मध्य काल में यह क्षेत्र अनेकानेक ऐतिहासिक युद्धों का केन्द्र स्थल रहा है। इन युद्धों में शहीद हुए योद्धाओं की सैकड़ों मजारे आज भी यहां विद्यमान है। किले पर भीम लाट नाम का एक विशाल यज्ञ स्तम्भ भी दर्शनीय है जो भले ही कुतुबमीनार जितना ऊंचा नहीं है किन्तु शिल्प विधान की दृष्टि से यह इससे कहीं भी कम नहीं है।
कहा जाता है कि महारा वटिक विजय वर्धन ने सन् 428 में इसी स्थान पर एक विशाल यज्ञ करवाया था। भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरूद्ध की पत्नी उषा के नाम पर कन्नौज के महाराजा महीपाल की रानी चित्रलेखा ने सन् 956 में उषा मंदिर का निर्माण करवाया। उषा मंदिर को बाद में गुलाम वंशी शासक अल्तमश ने मस्जिद में परिवर्तित करवा दिया। परवर्तीकाल में भरतपुर के जाट शासकों द्वारा इसे पुन: मंदिर के रूप में प्रतिष्ठापित करवा दिया। मन्दिर के अन्दरूनी स्तम्भों पर राजपूत स्थापत्य कला के नमूने हैं परन्तु इन पर जैन प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इसी से सम्बन्धित एक मीनार इब्राहीम लोदी ने बनवाई थी जिसे लोदी मीनार कहा जाता है।