बाड़मेर (Barmer) की स्थापना बाहड़ शासक राव परमार ने की।
बाड़मेर (Barmer) का नाम भी इसी शासक के बनाये हुए किले के नाम पर पड़ा बाड़मेर यानि बाड़ का पहाड़ी किला पड़ा।
भारत—पाकिस्तान को बांटने वाली रेडक्लिफ रेखा बाड़मेर (Barmer) के बाखासर गांव (शाहगढ़) तक फैली हुई है।
रेडक्लिफ रेखा की बाड़मेर (Barmer) से 228 कि.मी. सीमा लगती है।
बाड़मेर (Barmer) सबसे कम अन्तराज्यीय सीमा बनाने वाला जिला है।
बाड़मेर (Barmer) के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समूह नकोड़ा पर्वत या छप्पन की पहाड़ीयां कहलाता है।
गोड़वाड़ भौगोलिक क्षेत्र बाड़मेर,जालौर और सिरोही तक फैला हुआ है।
बालोत्तरा व झालौर के मध्य के भू-भाग को मालानी भी कहा जाता है।
लुणी नदी बाड़मेर के बालोतरा में दक्षिण में मुड़ जाती है। यहीं से इसका जल खारा हो जाता है।
मिठड़ी नदी पाली से निकलती है, पाली और बाड़मेर में बहते हुए बाड़मेर के मंगला में यह लुणी में मिल जाती है।
सुकड़ी नदी पाली के देसुरी से निकलती है, पाली और जालौर में बहते हुए बाड़मेर के समदड़ी में यह लुणी में मिल जाती है।
नर्मदा घाटी परियोजना से वर्तमान में बाड़मेर की गुढा मलानी तहसील व जालौर की सांचोर तहसील लाभान्वित हो रही है।
पचपदरा बाड़मेर स्थित खारे पानी की झील है।
बाटाडू का कुआं संगमरमर का आधुनिक पाषाण कला से बना कुआं।
सिवाणा दुर्ग पंवार शासक वीर नारायण द्वारा बनवाया गया था।
किराडू को राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है। यहां पांच मंदिर है जिनमें से यह विष्णु व शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, यहां सोमेश्वर मंदिर सबसे बड़ा व प्रमुख मंदिर है।
नाकोड़ा जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जिसे मेवनगर के नाम से भी जाना जाता है। यहां के आदिनाथ व शांतिनाथ के मंदिर प्रसिद्ध है।
मल्लीनाथ मंदिर बालोतरा के निकट लुनी नदी की तलहटी में स्थित है। यहां पर चैत्र मास में पशु मेला भरता है, जिसे मल्लीनाथ पशु मेला या तिलवाड़ा पशु मेला के नाम से जानते हैं।
आलम जी का मेला धोरीमना, बाड़मेर में आयोजित किया जाता है।
बाड़मेर के आसोतरा में भी ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है।
बाड़मेर के खेड़ में श्री रणछोड़ राय जी का मंदिर है।
1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए रेलवे कर्मचारियों की स्मृति में गडरा का शहीद स्मारक निर्मित करवाया गया है।
राजस्थान में पशु संपदा के मामले में बाड़मेर प्रथम स्थान पर है।
बाड़मेर घोड़े की मलाणी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
बाड़मेर में होली पर इलो जी की सवारी निकाली जाती है।
अन्राष्ट्रीय थार महोत्सव और बैलुन महोत्सव बाड़मेर में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्यटन मेले हैं।
राजस्थान में लिग्नाइट कोयले पर आधारित प्रथम विद्युत संयंत्र गिरल बाड़मेर में स्थित है।
बाड़मेर जिले के शिव बायतू, गुड़ा मलानी में पेट्रोलियम के भण्डार मिले हैं।
बाड़मेर के पचपदरा में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कोर्पोरेशन लिमिटेड व राजस्थान सरकार मिलकर रिफाइनरी लगा रही है। इस प्रोजेक्ट में केन्द्र व राज्य का हिस्सा 74:26 है।
बाड़मेर जिले का चौहटन क्षेत्र गोंद के लिए भारत भर में प्रसिद्ध है।
बाड़मेर का बालोत्तरा अजरक प्रिन्ट के लिए मशहूर है। इस प्रिंट की पहचान लाल व नीले रंग की ओढ़नी है। इसका अलावा यहीं का मलीर प्रिन्ट भी प्रसिद्ध है जो काला व कत्थई रंग लालीमा लिये हुए होता है।