तारागढ़ का दुर्ग
राजा अजयदेव द्वारा 2855 फुट उंची पहाड़ी पर निर्मित इस ऐतिहासिक दुर्ग ने न जाने कितनी लड़ाइयों और शासकों का उत्थान पतन देखा है। यह किला पहले अजयमेरू दुर्ग के नाम से प्रसिद्ध था। इसका विस्तार दो मील के घेरे में है और छोटे—बड़े नौ दरवाजे हैं। सत्रहवीं शताब्दी में शाहजहां के एक सेनापति गौड राजपूत बीठलदास द्वारा इस किले की मरम्मत कराई गई थी। किले के अन्दर पानी के पांच कुण्ड तथा बाहर की ओर एक झालरा बना हुआ है। गढ़ में सबसे उंचे स्थान पर निर्मित मीर साहब की दरगाह दर्शनीय है। यह दरगाह तारागढ़ के प्रथम गवर्नर मीर सैयद हुसैन खिंगसवार की है।
पहले यह क़िला अजयभेरू के नाम से प्रसिद्ध था। ब्रिटिश काल में इसका उपयोग चिकित्सालय के रूप में किया गया। कर्नल ब्रोटन के अनुसार बिजोलिया शिलालेख (1170 ईस्वी) में इसे एक अजेय गिरी दुर्ग बताया गया हैं। लोक संगीत में इस क़िले को गढबीरली उल्लेखित गया हैं। तारागढ़ क़िला जिस पहाडी पर स्थित हैं उसे बीरली कहा जाता हैं इसलिये भी इसे लोग गढबीरली कहते हैं।