राजस्थान का भूगोल (भाग—1)
- राजस्थान की आकृति पतंगाकार है।
- राज्य 23.3 से 30. 12 अक्षांश और 69. 30 से 78. 17 देशान्तर के बीच स्थित है।
- राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को मरू, मेरू और माल के नाम से भी परिभाषित किया जाता है।
- इसके उत्तर में पंजाब और हरियाणा, दक्षिण में मध्यप्रदेश और गुजरात, पूर्व में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश एवं पश्चिम में पाकिस्तान है।
- अरावली पर्वत विश्व के प्राचीनतम वलित एवं अवशिष्ट पर्वत श्रृंखलाओ में से एक है जो दक्षिण में गुजरात के खेड़ब्रह्मा से लेकर उत्तर में दिल्ली तक 692 किलोमीटर लम्बा है। राजस्थान में इसकी लंबाई 550 किलोमीटर हैं। इसकी ऊंचाई दक्षिण—पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर कम होती जाती है।
- राजस्थान का पूर्वी सम्भाग शुरु से ही उपजाऊ रहा है। इस भाग में वर्षा का औसत 50 सेमी से 90 सेमी तक है।
- राजस्थान के निर्माण के पश्चात चम्बल और माही नदी पर बड़े-बड़े बांध और विद्युत गृह बने हैं, जिनसे राजस्थान को सिंचाई और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध हुई है।
- राजस्थान में ताम्बा, जस्ता, अभ्रक, पन्ना, घीया पत्थर और अन्य खनिज पदार्थों के विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
- राज्य का पश्चिमी भाग देश के सबसे बड़े रेगिस्तान थार का भाग है। इस भाग में वर्षा का औसत 12 से.मी. से 30 से.मी. तक है। इस भाग में लूनी, बांड़ी आदि नदियां हैं, जो वर्षा के कुछ दिनों को छोडक़र प्राय: सूखी रहती हैं।
- देश की स्वतंत्रता से पूर्व बीकानेर राज्य गंगानहर द्वारा पंजाब की नदियों से पानी प्राप्त करता था।
- पश्चिमी राजस्थान में सिंचाई और पेयजल के लिए सन् 1958 में राजस्थान नहर (अब इंदिरा गांधी नहर) की विशाल परियोजना शुरु की गई।
- जोधपुर, बीकानेर, चूरू एवं बाड़मेर जिलों के नगर और कई गांवों को नहर से विभिन्न “लिफ्ट परियोजनाओं’ से पहुंचाये गये पीने का पानी उपलब्ध होगा।
- इस प्रकार राजस्थान के रेगिस्तान का एक बड़ा भाग शस्य श्यामला भूमि में बदल जायेगा।
- इण्डस बेसिन की नदियों पर बनाई जाने वाली जल-विद्युत योजनाओं में भी राजस्थान भागीदार है।
- राजस्थान नहर परियोजना के अलावा राज्य के पश्चिमी भाग में जवाई नदी पर निर्मित एक बांध है, जिससे न केवल विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई होती है, वरन् जोधपुर नगर को पेयजल भी प्राप्त होता है।
- जोधपुर सम्भाग अभी तक औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। पर इस क्षेत्र में ज्यो-ज्यों बिजली और पानी की सुविधाएं बढ़ती जायेंगी औद्योगिक विकास भी गति पकड़ लेगा।
- इस भाग में लिग्नाइट, टंगस्टन, बैण्टोनाइट, जिप्सम, संगमरमर आदि खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। जैसलमेर क्षेत्र में तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र को हाड़ौती कहा जाता है. पठार बहुल ये क्षेत्र राज्य के लगभग सात प्रतिशत क्षेत्र में फैला हुआ है.
राजस्थान— बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
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